श्रीलंका क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्गज स्पिन गेंदबाज मुथैया मुरलीधरन ने अपने 800वें विकेट से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा शेयर किया हैं. मुरली ने साल में 2010 में भारतीय टीम के खिलाफ अपने करियर का अंतिम टेस्ट मैच खेला था. उस मैच के शुरू होने से पहले मुरली ने लाल गेंद के साथ 792 विकेट चटकाए थे और अपने ऐतिहासिक 800 पूरे करने से आठ कदम दूर थे.
पहली पारी के दौरान मुरली ने पांच भारतीय खिलाड़ियों का शिकार किया और अंतिम पारी में उनको तीन विकेट और चटकाने थे. दूसरी पारी में जब मुरलीधरन के 799 विकेट पूरे जो गये थे, तब उनके सामने अपना 800वां विकेट लेने के लिए प्रज्ञान ओझा और इशांत शर्मा ही बचे थे. मुरली 799 के आंकड़े पर अटके हुए थे, तभी ड्रिंक्स ब्रेक के दौरान उनकी ओझा और इशांत से एक मजेदार बातचीत हुई.
मुरली ने इशांत से कहा कि आप शॉट खेलना शुरू कर दो और तब मैं आपको आउट कर दूंगा. इशांत शर्मा काफी डिफेंसिव (सकारात्मक) बल्लेबाजी के लिए जाने जाते है और उस समय भी काफी संभलकर बल्लेबाजी कर रहे थे. हालांकि इशांत तो आउट नहीं हुए लेकिन मुरलीधरन की एक गेंद पर ओझा अपनी विकेट गंवा बैठे.
मुरली की एक गेंद प्रज्ञान ओझा के बल्ले का किनारा लेते हुए महेला जयवर्धने के पास चली गयी और इस प्रकार से मुरलीधरन ने अपने यादगार 800 विकेट पूरे किये. रविचंद्रन अश्विन के साथ बात करते हुए मुथैया मुरलीधरन ने कहा, ‘’मैंने प्रज्ञान ओझा से कुछ भी नहीं कहा. मैंने इशांत शर्मा से ड्रिंक्स ब्रेक में कहा था कि शॉट खेलना शुरू कर दो. यह आखिरी विकेट है. आप दोनों के अच्छा खेलने बावजूद भारत मुकाबला ड्रॉ या जीत नहीं पाएगा. मुझे अपना विकेट दो और जाओ. कम से कम मैं संतुष्ट तो रहूंगा.’’
मुरली ने आगे कहा, ”प्रज्ञान ओझा ने कहा कि उसने अपना विकेट एक मकसद से गंवाया था. उसने मुरलीधरन के स्तर और कीर्तिमान की चिंता की. ड्रेसिंग रूम में सभी ने उसका मजाक उड़ाया. उससे कहा- अगर तुम अपना विकेट बिना मकसद के नहीं भी गंवाते तो मुरली अगली गेंद पर तुम्हें आउट कर लेता.’’
हालांकि श्रीलंका के कप्तान कुमार संगकारा ने अपने एक बयान में यह खुलासा किया था कि मुरली ने अपने संन्यास का ऐलान कर दिया था और उन्होंने कहा था कि अगर वह इस टेस्ट में 800 विकेट का आंकड़ा पूरा ना कर सके, तो वह आगे नहीं खेलेंगे. दरअसल, संगकारा और टीम के सीनियर खिलाड़ी चाहते थे कि मुरली पूरी टेस्ट सीरीज खेले.
यह टेस्ट मैच श्रृंखला का पहला ही मुकाबला था और मेजबान टीम ने पूरे दस विकेट से यह मैच जीतकर अपने नाम किया था. मुथैया मुरलीधरन को इस खेल का सर्वश्रेष्ठ स्पिन गेंदबाज माना जाता है और वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज भी रहे. 18 साल के अपने करियर में उन्होंने 133 टेस्ट मैचों में 800 और 350 एकदिवसीय में 534 खिलाड़ियों को मैदान से बाहर का रास्ता दिखाया. वहीं 12 टी-20I में उन्होंने 13 विकेट झटके.
Written By: अखिल गुप्ता
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